शनिदेव जी की आरती
जै शनि देवा, जै शनि देवा, जय जय जय शनि देवा।
अखिल सृष्टि में कोटि-कोटि जन करें तुम्हारी सेवा।
जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा।
जां पर कुपित होउ तुम स्वामी, घोर कष्ट वह पावे।
धन वैभव और मान-कीर्ति, सब पलभर में मिट जावे।
राजा नल को लगी शनि दशा, राजपाट हर लेवा।
जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा।
जां पर प्रसन्न होउ तुम स्वामी, सकल सिद्धि वह पावे।
तुम्हारी कृपा रहे तो, उसको जग में कौन सतावे।
तांबा, तेल और तिल से जो, करें भक्तजन सेवा।
जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा।
हर शनिवार तुम्हारी जय-, जय कार जगत में होवे।
कलयुग में शनिदेव महात्तम, दु:ख दरिद्रता धोवे।
करूं आरती भक्ति भाव से भेंट चढ़ाऊं मेवा।
जय शनि देवा, जय शनि देवा, जय जय जय शनि देवा।
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